Passive smoking a serious health challenge

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Passive smoking a serious health challenge इस धूम्रपान के दुष्प्रभाव न केवल उसे करने वाले व्यक्ति तक सीमित रहते हैं, बल्कि आस-पास के लोगों को भी प्रभावित करते हैं। इस समस्या का सामना अक्सर बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को करना पड़ता है, जो कि खुद धूम्रपान नहीं करते लेकिन दूसरे के धूम्रपान का धुआं झेलते हैं। यह धुआं स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होता है। सभी तरह पासिव स्‍मोकिंग असुरक्षित होती है। अपने आस-पास के लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य लिये और स्‍वयं के स्‍वास्‍थ्‍य के लिये यदि आप धू्म्रपान बंद करते हैं तो यह बहुत अच्‍छी बात है।

Passive smoking a serious health challenge

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पासिव स्मोकिंग के प्रमुख घटक

सिगरेट के धुएं में 7000 से अधिक रसायन होते हैं, जिनमें से 250 से ज्यादा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। इनमें से कुछ प्रमुख घटक हैं जैसे कार्बन मोनोऑक्‍साइड जो कि खून में आक्‍सीजन के स्‍तर को कम करता है, निकोटीन जो कि एक नशीला पदार्थ है जो ह्रदय और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है, तार जो कि कैंसर का मुख्‍य कारण होता है और बेंजीन और फॉर्मल्डिहाइड ये दोनो रसायन कार्सिनोजेनिक (कैंसर उत्पन्न करने वाले) हैं।

निष्क्रिय धूम्रपान या पेसिव स्मोकिंग क्या है ?

दूसरे लोगों के द्वारा धूम्रपान के दौरान निकाने गये धुऐं को अपनी सांसों के माध्‍यम से अंदर लेने को निष्क्रिय या अप्रत्यक्ष धूम्रपान कहा जाता है। ऐसा इसलिये होता है कि किसी सार्वजनिक स्‍थल, पार्टी समारोह, या अन्‍य स्‍थानों पर जब कोई धूम्रपान कर रहा होता है तो उसका धुआं ना चाहते हुए भी हमारी सांसो के अंदर चला जाता है । यह दो प्रकार का होता है एक वह धुआं जो धूम्रपान करने वाले के मुंह से बाहर आता है इसे मेनस्ट्रीम स्मोक कहते हैं और दूसरा वह धुआं जो सिगरेट, या सिगार के जलने से निकलता है, यह साइडस्ट्रीम स्मोक कहलाता है। साइडस्ट्रीम स्मोक में रसायनों की मा्त्रा ज्‍यादा होती है इसलिये यह अधिक हानिकारक और खतरनाक होता है। इस तरह Passive smoking a serious health challenge है।

निष्क्रिय धूम्रपान का स्वास्थ्य पर प्रभाव

1. हृदय रोग-

पासिव स्मोकिंग से दिल की धमनियां संकरी हो सकती हैं, जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है और हृदय रोग का खतरा बढ़ता है। इससे रक्‍तचाप और दिल की धड़कन दोनो में वृद्धि हो सकती है जिससे ह्रदय पर दबाव पड़ता है, इसके अलावा रक्‍त वाहिकाओं में वसा (cholesterol) और अन्‍य तत्‍वों का जमाव होता है जिससे आर्टरीज सख्‍त और संकुचित हो जाती हैं। इससे ह्रदय रोगों का खतरा बढ़ता है।

2. फेफड़ों की समस्याएं-

पेसिव स्‍मोकिंग का धुआं अस्‍थमा के रोगियों के लिये घातक हो सकता है, इससे फेफड़ों के केंसर का खतरा बढ़ता है इसके अलावा सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) होने की संभावना बढ़ती है।

3. बच्चों पर प्रभाव-

बच्चे पेसिव स्मोकिंग के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, और इसका उन पर कई तरह से नकारात्मक असर पड़ सकता है, पेसिव स्‍मोकिंग से बच्‍चों को अस्‍थमा (asthma),  ब्रोन्‍काइटिस (bronchitis), और श्‍वसन प्रणाली से संबंधित अन्‍य विकास हो सकते हैं। पेसिव स्‍मोकिंग के कारण बच्‍चों में खांसी, सांस लेने में तकलीफ और सीने में जकडन जैसी समस्‍याऐं हो सकती हैं। तम्‍बाकू के धुएं से बच्‍चों के शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास धीमा हो सकता है। पेसिव स्‍मोकिंग से बच्‍चों में कुछ प्रकार के कैंसर, जैसे कि फेफड़े का कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। तम्‍बाकू के धुएं के कारण बच्‍चों में दृष्टि एवं श्रवण संबंधी समस्‍याएं हो सकती हैं इसके साथ ही यदि कमरे के अंदर धूम्रपान किया जाता है तो उसके धुएं के वजह से बच्‍चे रात में बेहतर नींद नहीं ले पाते जिससे उनकी शारीरिक एवं मानसिक सेहत प्रभावित होती है। इस तरह Passive smoking a serious health challenge है जिसका बच्‍चों पर बहुत हानिकारक हो सकता है ।

4. गर्भवती महिलाओं पर प्रभाव-

बच्चे पेसिव स्मोकिंग के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, और इसका उन पर कई तरह से नकारात्मक असर पड़ सकता है, पेसिव स्‍मोकिंग से बच्‍चों को अस्‍थमा (asthma),  ब्रोन्‍काइटिस (bronchitis), और श्‍वसन प्रणाली से संबंधित अन्‍य विकास हो सकते हैं। पेसिव स्‍मोकिंग के कारण बच्‍चों में खांसी, सांस लेने में तकलीफ और सीने में जकडन जैसी समस्‍याऐं हो सकती हैं। तम्‍बाकू के धुएं से बच्‍चों के शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास धीमा हो सकता है। पेसिव स्‍मोकिंग से बच्‍चों में कुछ प्रकार के कैंसर, जैसे कि फेफड़े का कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। तम्‍बाकू के धुएं के कारण बच्‍चों में दृष्टि एवं श्रवण संबंधी समस्‍याएं हो सकती हैं इसके साथ ही यदि कमरे के अंदर धूम्रपान किया जाता है तो उसके धुएं के वजह से बच्‍चे रात में बेहतर नींद नहीं ले पाते जिससे उनकी शारीरिक एवं मानसिक सेहत प्रभावित होती है। इस तरह Passive smoking a serious health challenge है जिसका गर्भवती महिला और होने वाले बच्‍चे पर बहुत हानिकारक हो सकता है ।

5. कैंसर का खतरा-

पासिव स्मोकिंग से फेफड़ों के कैंसर का खतरा 20-30% तक बढ़ जाता है। यह गले और मुँह के कैंसर का भी कारण बन सकता है।

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

पासिव स्मोकिंग न केवल स्वास्थ्य बल्कि समाज और अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर डालता है क्‍योंकि धूम्रपान से जुड़ी बीमारियों का इलाज मंहगा होता है, बीमारियों के कारण परिवार के अन्‍य सदस्‍य भी मानसिक और आर्थिक रूप से प्रभावित होते हैं, धूम्रपान से होने वाली बीमारियां कामकाजी घंटो में बाधा उत्‍पन्‍न करती हैं।

पासिव स्मोकिंग रोकने के उपाय

1. धूम्रपान निषेध क्षेत्र
  • सार्वजनिक स्थानों, स्कूलों, अस्पतालों, और कार्यालयों में धूम्रपान पर प्रतिबंध लगाना।
  • घर के अंदर और कार में धूम्रपान से बचना।
2. प्रचार और जागरूकता
  • पासिव स्मोकिंग के दुष्प्रभावों पर जागरूकता अभियान चलाना।
  • तंबाकू उत्पादों पर चेतावनी संदेश प्रदर्शित करना।
3. कानूनी उपाय
  • तंबाकू और धूम्रपान से संबंधित सख्त कानून बनाना।
  • नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए कड़े दंड का प्रावधान।
4. धूम्रपान छोड़ने के कार्यक्रम
  • धूम्रपान करने वालों को इसे छोड़ने के लिए प्रेरित करना।
  • निकोटीन रिप्लेसमेंट थैरेपी और काउंसलिंग सेवाएं उपलब्ध कराना।
निष्‍कर्ष

पासिव स्मोकिंग एक गंभीर समस्या है जो व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर व्यापक प्रभाव डालती है। इसे नियंत्रित करने के लिए व्यक्तिगत जिम्मेदारी, सामाजिक जागरूकता और सरकारी प्रयासों का संयोजन आवश्यक है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने और धूम्रपान के प्रति सतर्कता बरतने से ही इस समस्या का समाधान संभव है। हम सभी को मिलकर एक ऐसा समाज बनाना चाहिए, जहां हर कोई स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण में सांस ले सके। यह न केवल वर्तमान बल्कि आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है।

Frequently Asked Question

पासिव स्मोकिंग से फेफड़ों का कैंसर, हृदय रोग, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और बच्चों में श्वसन तंत्र से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं। यह नवजात शिशुओं में SIDS (सडन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम) का खतरा भी बढ़ाता है।

सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध का पालन करें, घर और वाहन को धूम्रपान मुक्त बनाएं, और धूम्रपान करने वालों से सुरक्षित दूरी बनाए रखें।

पासिव स्मोकिंग का सबसे अधिक प्रभाव बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों पर पड़ता है। ये समूह धुएं के हानिकारक प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

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