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Toggle'माइंडफुल ईटिंग': बिना डाइटिंग प्लान के वजन कम करने की होलिस्टिक एप्रोच
Mindful eating vs dieting best approach- इनमें कौन बेहतर है। यदि हम इस बारे में गहराई से विचार करें तो इतना तो समझ ही सकते हैं कि माइंडफुल ईटिंग में हमें खाने की स्वतंत्रता होती है, जबकि डाइटिंग के दौरान हमारे खाने में तमाम पाबंदिया होती हैं। माइंडफुल ईटिंग मे हम शांति का अनुभव करते हैं, जबकि डाइटिंग का दौर हमें तनाव और फ्रस्टेश्न देता है। माइंडफुल ईटिंग से कम किया गया वजन स्थायी होता है जबकि डाइटिंग की दौरान कम किया गया वजन अस्थायी होता है। माइंडफुल ईटिंग में हम खाने का आनंद ले सकते हैं जबकि डाइटिंग के दौरान भूख से जूझना होता है। शोध से पता चलता है कि माइंडफुल ईटिंग से वजन कम करने की संभावना अधिक होती है।

माइंडफुल ईटिंग किसे कहते है?
माइंडफुल ईटिंग का मतलब है:
- बिना किसी डिस्ट्रैक्शन (जैसे टीवी, मोबाइल) के खाने पर फोकस करना।
- हर बाइट को एंजॉय करना और उसे धीरे-धीरे चबाना।
- भूख और तृप्ति के संकेतों को पहचानना।
- इमोशनल ईटिंग (जैसे तनाव में आकर खाना) से बचना।
उदाहरण के साथ समझें:
उदाहरण 1:
- डाइटिंग:
- हर दिन 1200 कैलोरी की सख्त डाइट, जिससे भूख और चिड़चिड़ापन बढ़ता है।
- माइंडफुल ईटिंग:
- अपने भोजन को धीरे-धीरे खाने से आप सिर्फ 1500 कैलोरी में ही संतुष्ट महसूस करेंगे और बिना भूखे रहे वजन कम करेंगे।
उदाहरण 2:
- डाइटिंग:
- “चॉकलेट खाना मना है!” जैसी सख्त पाबंदियां।
- माइंडफुल ईटिंग:
- आप एक छोटा पीस चॉकलेट खाकर उसकी हर बाइट को एंजॉय करते हैं, जिससे अधिक खाने की जरूरत महसूस नहीं होती।
- डाइटिंग:
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जानिये बिना डाइटिंग के माइंडफुल ईटिंग से वजन कम कैसे होता है ?
- ओवरईटिंग से बचाव:
जब आप माइंडफुल होकर खाते हैं, तो आप जल्दी महसूस करते हैं कि पेट भर गया है, जिससे अनावश्यक कैलोरी से बचाव होता है। - संतुलित भोजन का चुनाव:
माइंडफुल ईटिंग से आप जंक फूड की जगह हेल्दी ऑप्शन्स चुनते हैं, क्योंकि आप क्रेविंग्स पर काबू पाना सीखते हैं। - मेटाबॉलिज्म बूस्ट:
धीरे-धीरे चबाकर खाने से पाचन तंत्र बेहतर काम करता है, जिससे मेटाबॉलिज्म तेज होता है और वजन कम होने में मदद मिलती है। - इमोशनल ईटिंग में कमी:
माइंडफुलनेस से आप तनाव, उदासी या बोरियत में खाने की आदत को कम कर सकते हैं।
माइंडफुल ईटिंग के 15 आसान स्टेप्स:
खाने से पहले शरीर की भूख का आंकलन करें:
- खाने से पहले खुद से पूछें: “क्या मैं सच में भूखा हूँ?”
- अक्सर हम तनाव, बोरियत या भावनाओं के कारण खाते हैं। माइंडफुल ईटिंग में वास्तविक भूख और भावनात्मक भूख के बीच अंतर समझना जरूरी है।
- खाने के दौरान ध्यान केंद्रित करें:
- टीवी, फोन, या लैपटॉप से दूर बैठकर केवल खाने पर ध्यान दें।
- हर निवाले का स्वाद, बनावट, और खुशबू महसूस करें। इससे आप जल्दी तृप्ति महसूस करेंगे और ओवरईटिंग से बचेंगे।
- धीरे-धीरे खाएं और अच्छे से चबाएं:
- हर कौर को 20-30 बार चबाएं। इससे पाचन अच्छा होता है और मस्तिष्क को समय मिलता है यह सिग्नल भेजने का कि पेट भर चुका है।
- छोटे हिस्से में खाना परोसें:
- प्लेट में अधिक खाना लेने से ओवरईटिंग की संभावना बढ़ जाती है।
- छोटी प्लेट का इस्तेमाल करें ताकि कम मात्रा में भोजन भी पर्याप्त लगे।
- शरीर के संकेतों को समझें:
- आधे खाने के बाद एक ब्रेक लें और शरीर से पूछें: “क्या मैं अभी भी भूखा हूँ?”
- यदि हाँ, तो थोड़ा और खाएं। अगर नहीं, तो जबरदस्ती खाने से बचें।
- खाने का समय निर्धारित करें:
- अनियमित समय पर खाना माइंडफुल ईटिंग के सिद्धांतों को कमजोर करता है।
- रोजाना एक ही समय पर खाना खाने की आदत डालें।
- खाना बनाने और परोसने की प्रक्रिया का आनंद लें:
- अपने भोजन को तैयार करने की प्रक्रिया को ध्यान से देखें।
- इससे आपके और भोजन के बीच का संबंध मजबूत होता है और आप स्वस्थ विकल्प चुनते हैं।
- भोजन के प्रति आभार व्यक्त करें:
- हर भोजन से पहले और बाद में आभार जताएं कि आपको स्वस्थ भोजन मिल रहा है।
- यह आदत आपको खाने को लेकर अधिक जागरूक और सकारात्मक बनाती है।
- संतुलित आहार का चुनाव करें:
- अपने भोजन में प्रोटीन, फाइबर, स्वस्थ वसा और कार्बोहाइड्रेट शामिल करें।
- प्रोसेस्ड फूड और जंक फूड से बचें क्योंकि यह माइंडफुल ईटिंग की आदत को कमजोर करता है।
- क्रेविंग्स से न डरें:
- अगर कभी मीठा खाने का मन हो तो खुद को रोकें नहीं, बल्कि एक छोटा हिस्सा खाएं और उसका आनंद लें।
- माइंडफुल ईटिंग में ‘सेल्फ कंट्रोल’ के साथ-साथ ‘सेल्फ केयर’ भी जरूरी है।
- खाने के बाद आत्मनिरीक्षण करें:
- खाने के बाद खुद से पूछें: “मुझे कैसा महसूस हो रहा है?”
- इससे आप समझ पाएंगे कि कौन सा खाना आपके शरीर और मन के लिए बेहतर है।
- हाइड्रेटेड रहें:
- कई बार प्यास को भूख समझ लिया जाता है।
- खाने से पहले एक गिलास पानी पिएं, इससे आप ओवरईटिंग से बच सकते हैं।
- भोजन का पर्यावरण सुखद रखें:
- साफ और शांत जगह पर बैठकर खाना खाएं।
- भोजन के समय सकारात्मक विचार रखें।
- नियमित रूप से व्यायाम करें:
- माइंडफुल ईटिंग के साथ हल्का व्यायाम या योग करना वजन कम करने में सहायक होता है।
- व्यायाम से आपका मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है और आप खाने की आदतों के प्रति अधिक सजग रहते हैं।
- भोजन के बाद वॉक करें:
- खाने के तुरंत बाद 10-15 मिनट की वॉक से पाचन अच्छा होता है और आप हल्का महसूस करते हैं।


अंतिम शब्द
माइंडफुल ईटिंग न केवल वजन घटाने में मदद करती है, बल्कि मेंटल हेल्थ, डाइजेशन और ओवरऑल वेलनेस को भी सुधारती है। यह एक होलिस्टिक तरीका है जो आपको खुश और हेल्दी लाइफस्टाइल जीने की आजादी देता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
माइंडफुल ईटिंग खाने की एक जागरूक आदत है जिसमें हर निवाले का स्वाद, बनावट और भूख के संकेतों पर ध्यान दिया जाता है, जिससे ओवरईटिंग से बचा जाता है।
हाँ, माइंडफुल ईटिंग से आप अपनी भूख और तृप्ति के संकेत समझकर जरूरत से ज्यादा खाने से बचते हैं, जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है।
इसमें कोई विशेष डाइट प्लान नहीं होता। आप जो भी खा रहे हैं, बस उसे ध्यान और जागरूकता के साथ खाएं।
खाने के दौरान टीवी, मोबाइल से दूरी बनाएं, हर निवाले को धीरे-धीरे चबाएं और अपने शरीर के भूख-तृप्ति संकेतों को पहचानें।
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