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Reasons for poor memory in children अनेक बच्चों में याददाश्त कम होने कें लक्षण एवं समस्या पायी जाती है । याददाश्त कमजोर होने के कारण बच्चे शिक्षा से लेकर जीवन के समस्त क्षेत्रों में समस्याओं का सामना करते हैं। यदि मानव मस्तिष्क में जरा भी समस्या हैै तो किसी चीज को याद रखना बहुत कठिन हो जाता है। इस समस्या को नजरअंदाज न कर यदि इस समस्या पर शुरूआत में ही ध्यान देकर इसका समाधान कर लिया जाता है तो यह गंभीर रूपे नहीं ले पाती। अनेक छोटे छोटे बच्चों की याददाश्त कम होती है, इसके अनेक कारण हो सकते हैं जिनके बार में इस लेख में विस्तार से जानकारी दी गई है।

एक्सपर्ट टिप: “बच्चों में याददाश्त कमज़ोर होने का एक बड़ा कारण पोषण की कमी है। ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन B12 से भरपूर आहार उनकी मेमोरी और ब्रेन डेवलपमेंट को सुधार सकते हैं।”
1. पोषण की कमी
बच्चों को सही मात्रा में पोषण नहीं मिलने से उनका मानसिक विकास बाधित हो सकता है। विटामिन B12, आयरन, और ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी मस्तिष्क के कार्य को प्रभावित करती है। बच्चों को चीनी एवं उच्च कैलोरी वाले भोजन से परहेज करना चाहिये।
2. नींद की कमी
बच्चों को पर्याप्त नींद न मिलने से उनका मस्तिष्क थक जाता है, जिससे नई चीजें याद रखना मुश्किल हो जाता है। पर्याप्त नींद के अभाव में या नींद के व्यवधान के कारण दीर्घकालीन बातों को याद रखना कठिन हो जाता है। नींद की कमीं बच्चों के सीखने की प्रक्रिया में भी बाधा होती है। साथ ही नींद की कमीं बच्चों के न्यूरल कनेक्शन को कमजोर करती है जिससे उनके मस्तिष्क के विकास की गति मंद हो जाती है। Reasons for poor memory in children में पर्याप्त नींद बहुत महत्वपूर्ण है।
3. तनाव और चिंता
बच्चों में चिंता का विकार आम है और इससे लगभग 15% से 20% बच्चे और किशोर प्रभावित होते हैं। स्कूल का दबाव, परिवारिक समस्याएं, या सहपाठियों के साथ समस्याएं बच्चों में तनाव पैदा कर सकती हैं। कुछ बच्चे स्वाभाविक रूप से संवेदनशील होते हैं उन्हे किसी भी परिवर्तन या तीव्र भावनाओं से निपटने में कठिनाई का अनुभव होता है। तनाव मस्तिष्क की कार्यक्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
4. ध्यान की कमी (Attention Deficit)
कुछ बच्चों में ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कम होती है, जैसे ADHD (Attention Deficit Hyperactivity Disorder)। बच्चों की अंतर्निहित चिंता, हताशा भी ध्यान की कमी का कारण हो सकती है, इस कारण बच्चे नई जानकारी को ठीक से संसाधित नहीं कर पाते। बचपन में होने वाली सभी व्याकुलताओं, लुभावों के कारण समय- समय पर ध्यान केन्द्रित करने में परेशानी होना आम बात है लेकिन कुछ बच्चों को निरंतर ध्यान केन्द्रित करने में परेशानी होती है और इस वजह से उन्हे स्कूल और रोजमर्रा की जिन्दगी में परेशानी पैदा हो सकती है। Reasons for poor memory in children में ध्यान की कमीं एक महत्वपूर्ण तथ्य है।
5. स्क्रीन टाइम का अत्यधिक उपयोग
लंबे समय तक मोबाइल, टीवी, या कंप्यूटर का उपयोग बच्चों के मस्तिष्क को थका देता है और याददाश्त पर असर डालता है। स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने से बच्चों का मेमोरी स्तर कम होता है, स्क्रीन पर अधिक समय व्यतीलत करने से बच्चों की द्रष्टि के साथ ही उनके मस्तिष्क पर भी प्रभाव पड़ता है बच्चों के मस्तिष्क का कॉर्टेक्स पतला होने लगता है इसके अलावा बच्चों की भाषा- सोचने की क्षमता कम होती है। स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों में नींद संबंधी विकार भी पैदा हो सकते हैं।
6. शारीरिक गतिविधियों की कमी
नियमित शारीरिक गतिविधि न होने से मस्तिष्क में रक्त प्रवाह कम हो सकता है, जिससे मानसिक क्षमता प्रभावित होती है। सोच और याददाश्त को नियंत्रित करने वाले रसायन जो कि शारीरिक गतिविधियों से ही मस्तिष्क के उन हिस्सों में बनते हैं जो इन्हे नियंत्रित करते हैं। शारीरिक गतिविधियों और व्यायाम से मस्तिष्क में न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रोटीन का स्त्राव बढ़ने से न्यूरॉन्स का विकास होता है जो मस्तिष्क को स्वस्थ रखता है। Reasons for poor memory in children में बच्चों की शारीरिक गतिविधि पर ध्यान देना आवश्यक है।


7. स्वास्थ्य समस्याएं
थायरॉइड की समस्या होने पर बच्चे की याददाश्त कमजोर हो सकती है क्योंकि थाइराइड हार्मोन मस्तिष्क के विकास और वृद्धि के लिये जरूरी होता है, इसलिये इसकी कमी होने पर याददाश्त संबंधी समस्या हो सकती है। एनीमिया, या कोई अन्य चिकित्सीय स्थिति भी बच्चों की मानसिक क्षमता को प्रभावित कर सकती है। मस्तिष्क में चोट या कोई न्यूरोलॉजिकल समस्या भी याददाश्त को कमजोर कर सकती है। मस्तिष्क की चोट के बाद याददाश्त औन नई चीजें सीखने में कठिनाई होना आम बात है।
8. पढ़ाई की गलत आदतें
केवल रट्टा लगाना या पढ़ाई में रुचि न होना भी सीखने और याद रखने की क्षमता को प्रभावित करता है। अगर बच्चे मन में पढ़ते हैं तो उन्हे जल्दी याद नहीं होता और वे भूल जाते हैं। ज्यादा समय तक टीवी देखने या स्मार्टफोन चलाने से भी याददाश्त पर खराब असर होता है। परीक्षा के समय बच्चों पर ज्यादा दबाव बनाने से उनकी मानसिक स्थिति और सीखने की योग्यता पर प्रभाव पड़ता है।
9. सोशल इंटरैक्शन की कमी
यदि बच्चे दूसरों से कम बातचीत करते हैं या समाज से कटे रहते हैं, तो उनके मस्तिष्क का विकास धीमा हो सकता है। जैसे जैसे बच्चे अपने साथियों से बातचीज करते हैं वे सहानुभूति और सहयोग के सिद्धांतों को सीख्ते हैं। उनकी यह योग्यता उनके पूरे जीवन में स्वस्थ रिश्ते बनाये रखने में सहायक होती है।
बच्चों में याददाश्त सुधारने के उपाय
1- संतुलित आहार दें
पोषण से मस्तिष्क ऊर्जा को मिलती है और वह केन्द्रित और सक्रिय रहता है। इससे प्रतिरक्षा भी बढ़ती, जिससे बीमार होने की संभावना कम होती है । मस्तिष्क शरीर का पहला अंग होता है जो भोजन से पोषक तत्वों को अवशोषित करता है । बच्चों को हरी सब्जियां, फल, नट्स, और डेयरी उत्पाद खाने के लिए प्रेरित करें। ओमेगा-3 युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे मछली या अलसी के बीज, मस्तिष्क के लिए फायदेमंद होते हैं। बच्चों को ज्यादा कैलोरी वाले और अत्यधिक मीठेे व्यंजन से बचाना चाहिये।
2- पर्याप्त नींद सुनिश्चित करें
बच्चों को रोजाना 8-10 घंटे की नींद लेने दें। सोने और जागने का समय तय करें। नींद से मस्तिष्क की कोशिकाऐं रीसेट होती हैं जिससे अगले दिन जानकारी याद रखने में मदद मिलती है। नींद की अवस्था में बच्चों के दिमांग में सीखने की क्षमता और याददाश्त संबंधी प्रक्रियाऐं संचालित होती हैं। नींद के दौरान न्यूरॉन्स के बीच कनेक्टिविटी मजबूत होती है। Reasons for poor memory in children में पर्याप्त नींद बहुत महत्वपूर्ण है।
3- पढ़ाई के दौरान ब्रेक दें
लगातार स्टडी करने से मस्तिष्क थक जाता है लंबे समय तक पढ़ाई करने के बजाय, हर 30-40 मिनट बाद ब्रेक दें। पढ़ाई के दौरान ब्रेक लेने से दिमाग को आराम मिलता है और ध्यान केन्द्रित करने में मदद मिलती है और इससे याद रखने की क्षमता बढ़ती है। ब्रेक के दौरान शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा दें।
4- ध्यान और योग कराएं
बच्चों को ध्यान (मेडिटेशन) की आदत डालें। ध्यान और योग से मस्तिष्कि की कोशिकाओं में नये कनेक्शंस बनते हैं, योग और प्राणायाम बच्चों की मानसिक स्थिरता को बढ़ाते हैं। योग और प्राणायाम से मस्तिष्क के उन हिस्सों को बल प्राप्त होता है जो याददाश्त, ध्यान और भाषा से जुड़े होते हैं। योग से फोकस बढ़ता है और तनाव कम होता है।
5- मस्तिष्क के खेल और कहानियां
बच्चों को पज़ल्स, सुडोकू, और मेमोरी गेम खेलने के लिए प्रेरित करें। ये खेल मस्तिष्क को सक्रिय और तेज बनाते हैं। कहानियां सुनाने से बच्चों की कल्पनाशक्ति और जिज्ञासा बढ़ती है। भूल भुलैयां भी इसी तरह का खेल है जब बच्चा भूल भुलैयां से रास्ते खोजने का प्रयास करता है तो वह अपने मस्तिष्क को तीव्र गति से सोचने के लिये उत्तेजित करता है। इस खेल से उनमे आत्मविश्वास और धैर्य बढ़ता है।
6- बच्चों का सोशल इंटरैक्शन बढ़ाएं
बच्चों को दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताने के लिए प्रोत्साहित करें। नए अनुभव और बातचीत मस्तिष्क के विकास में मदद करते हैं। हमारी तरह जब बच्चे भी दूसरे बच्चों से घुलते मिलते हैं तो उनमें सामाजिक कौशल विकसित होता है।
7- स्क्रीन टाइम सीमित करें
स्क्रीन द्वारा स्क्रीन पर बिताए जाने वाले समय को नियंत्रित करें। स्क्रीन टाइम ज्यादा होने से बच्चों को सोने में परेशानी हो सकती है, इससे उन्हे ध्यान केन्द्रित करने में कठिनाई हो सकती है तथा इससे उनका मूड और व्यवहार प्रभावित होता है, इसके साथ ही बच्चों को पढ़ाई के लिए डिजिटल उपकरणों का सही उपयोग सिखाएं। Reasons for poor memory in children में बच्चों का स्क्रीन टाइम सीमित करना आवश्यक है।
8- डॉक्टर की सलाह लें
यदि याददाश्त कमजोर होने का कारण किसी स्वास्थ्य समस्या से जुड़ा हो, तो तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लें।
निष्कर्ष
निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता है कि बच्चों के आहार में हरी सब्जियां, मेवे, फल, और ओमेगा-3 फैटी एसिड वाले खाद्य पदार्थ शामिल करें। बच्चों को रोजाना 8-10 घंटे की नींद लेने के लिए प्रेरित करें। पढ़ाई के अलावा खेलकूद और रचनात्मक गतिविधियों को प्रोत्साहित करें। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का सीमित उपयोग सुनिश्चित करें। पजल्स, मेमोरी गेम्स और रचनात्मक खेल खेलने की आदत डालें।
Frequently Asked Question
बादाम, अखरोट, ब्रोकली, पालक, अंडे, और मछली जैसे आहार स्मरण शक्ति के लिए फायदेमंद हैं।
जी हाँ, तनाव और चिंता से बच्चों की एकाग्रता और स्मरण शक्ति कमजोर हो सकती है। इसके लिए ध्यान, योग और खेलकूद सहायक हो सकते हैं।
स्क्रीन टाइम को कम करने के लिए उनके दिनचर्या में पढ़ाई, खेल, और परिवार के साथ समय बिताने जैसी गतिविधियों को शामिल करें। साथ ही, स्क्रीन उपयोग के लिए समय तय करें।
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