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ToggleLiver health के बारे में 15 मुख्य जानकारियां:
लीवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है और यह शरीर की अनेक महत्वपूर्ण क्रियाओं को नियंत्रित करता है। कुछ बीमारियां और अव्यवस्थित जीवनशैली लीवर को नुकसान पहुंचा सकती है। जिसके बारे में प्रत्येक व्यक्ति को सजग रहना चाहिये।
1-लिवर की संरचना :
लिवर शरीर का सबसे बडा ठोस अंग है। यह एक गहरे लाल रंग की ग्रंथि होती है जो राइट साइड के upper abdomen में स्थित होता है। लीवर को हिन्दी में यकृत कहा जाता है। लीवर के दो मुख्य भाग होते हैं दायां एवं बायां लोब। दोनो लोब 8 खण्डों से बने होते हैं जिनमें 1000 लोब्यूल याने छोटे लोब् होते हैं। यकृत का वजन व्यस्कों में लगभग 3 से 5 पाउंड होता है।
2- लिवर का कार्य :
लिवर का सबसे बडा कार्य प्रतिदिन आपके रक्त को फिल्टर करना होता है। लीवर हर मिनिट 1 लीटर से अधिक रक्त को फिल्टर करता है। ये शरीर की कई अन्य क्रियाओं में भी सहायक है जैसे कि यह हमारे आहार में पोषक तत्वों को शरीर के लिये उपयोगी पदार्थों में परिवर्तित करता है, उन्हे संग्रहीत करता है और आवश्यक्ता पडने पर कोशिकाओं को इनकी आपूर्ती करता है। यह विषाक्त पदार्थों को हानिरहित पदार्थों में बदलता है जो अंतत: हमारे मल एवं मूत्र मार्ग से शरीर से बाहर निकल सकें। इस तरह Liver health की हमारे शरीर में अत्यधिक उपयोगिता है।



3- मेटाबोलिज्म :
लिवर कार्बोहायड्रेट, प्रोटीन्स और फेट का चयापचय करता है जिससे शरीर को एनर्जी मिलती है और न्यूट्रिशन्स का उपयोग होता है। मेटाबॉजिल्म वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा शरीर भोजन और पेय को ऊर्जा में बदलता है। मेटाबॉजिल्म बढ़ने से शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है। बाडी का मेटाबोलिक रेट हाईट, एक्टिविटी और उम्र के अनुसार सभी का अलग अलग होता है। मेटाबोलिज्म टेस्ट के लिये बेसिक मेटाबालिक पैनल (BMP) परीक्षण में आठ अलग अलग माप शामिल होते हैं और यह शरीर के ऊर्जा के उपयोग के बारे में जानकारी प्रदान करता है जिसे मेटाबोलिज्म के रूप में जाना जाता है। इस तरह Liver health बनाये रखना हमारे लिये बहुत आवश्यक है।
4- विषाक्त पदार्थो का नियंत्रण :
शरीर के विषाक्त और टाक्सिन्स को फिल्टर करता है, जो ब्लड से निकाल दिये जाते हैं। अधिक पानी पीना लिवर डिटाक्स का एक अच्छा और प्रभावी तरीका है।है। विषाक्त पदार्थों के शरीर से बाहर नहीं निकलने से कई समस्याऐं पैदा होती हैं और अधिक पानी पीने से लिवर विषाक्त पदार्थों को निकालने में अधिक सक्षम होता है।
5 -पित्त सुरक्षा :
लिवर पित्त उत्पादित करता है जो वसा पाचन और अवशोषण में मदद करता है। वसा का पाचन पेट से शुरू होता है। वसा के छोटी आंत में प्रवेश करने पर पित्ताश्य और अग्न्याश्य वसा को और अधिक तोडने के लिये पदार्थों का स्त्राव करते हैं। स्वस्थ लीवर में बहुत कम या बिलकुल वसा नहीं होती। अत: अपने Liver health का बहुत ध्यान रखें।

6- विटामिन और मिनरल्स का संग्रहण :
लिवर, चीनी के साथ साथ विटामिन A, D, E और K तथा खनिज और तांबा जैसे मिनरल्स को स्टोर करता है और जरूरत पड़ने पर उन्हें रक्त में छोड़ता है। लीवर प्रोटीन के चयापचय में भी बहुत सहायक और महत्वपूर्ण होता है।
7- ब्लड क्लॉटिंग फैक्टर्स :
जब शरीर, रक्तस्त्राव को रोकने के लिये, ब्लड क्लॉटस बनाने में मदद करने के लिये आवश्यक प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा बनाने में असमर्थ होता है तब क्लॉटिंग के विकार उत्पन्न होते हैं। इन प्रोटीन्स को क्लॉटिंग फैक्टर्स कहा जाता है लिवर कुछ क्लॉटिंग फैक्टर्स उत्पादित करता है जो खून का ठीक से क्लॉट करने में मददगार होते हैं। अत: अपने Liver health का हमेशा दुरूस्त बनाये रखें।
8- हार्मोन रेगुलेशन :
हार्मोनल असंतुलन तब होता है जब शरीर में किसी हार्मोन की मात्रा बहुत ज्यादा या बहुत कम होती है। ये हार्मोन्स जैसे इंसुलिन और एस्ट्रोजन का नियंत्रण करता है जिससे शरीर के हार्मोनल बैलेंस को बनाये रखा जा सकता है। इसलिये अपने Liver health को हमेशा हेल्दी बनाये रखें।
9-लिवर डिजीज Liver Diseases:
कॉमन लिवर डिजीज में हेपेटाइटिस, सिरोसिस और फैटी लीवर शामिल हैं। लिवर संबंधी कुछ समस्याएं गंभीर होती हैं जिसके कारण लिवर फैल्यिर जैसी गंभीर जटिलतायें पैदा हो सकती हैं।शरीर मे लिवर की बीमारी मुख्य रूप से मोटापा,शराब तथा कई बार संक्रमण और वंशानुगत विकार की वजह से होती हैं।
10- लिवर केन्सर Liver Cancer :
लिवर में केंसर का डवलपमेंट भी हो सकता है जो अर्ली डिटेक्शंस के बिना खतरनाक हो सकता है। लिवर केंसर के प्रकारों में प्राथमिक लिवर केंसर जिसके दो प्रकार हैं – हेपटोससलुलर कार्सिनोमा और कोलेंजियोकार्सिनोंमा (जो कि पित्त और नलिकाओं का केंसर होता है) दूसरा मेटास्टेटिक लिवर केंसर तब होता है जब कैंसर शरीर के अन्य भागों से लिवर में फैलता है। यदि लिवर केंसर उन्नत अवस्था में होता है तो इसकी वजह से पेट दर्द और आंतरिक रक्तस्त्राव भी हो सकता है।
11- लिवर ट्रांसप्लांट Liver Transplant :
लिवर में गंभीर क्षति होने पर लिवर ट्रांसप्लांट एक व्यवहार्य विकल्प हो सकता है। व्यस्कों में लिवर ट्रांसप्लांट का सबसे आम कारण सिरोसिस है। सिरोसिस की स्थित में लीवर धीरे- धीरे खराब हो जाता है। लिवर ट्रांसप्लांट एक ऐसी सर्जरी होती है जिसमें बीमार यकृत को दूसरे व्यक्ति के स्व्स्थ यकृत से बदला जाता है। लिवर ट्रांसप्लांट से 20 साल तक जीवित रहने की दर लगभग 55% होती है।
12- फैटी लिवर डिजीज Fatty Liver Disease:
इसमें लिवर में अतिरिक्त चर्बी जमा हो जाती है जो स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देती है। लिवर में ज्यादा वसा का जमा हो जाना फैटी लिवर रोग कहलाता है। यह वसा समय के साथ लिवर को प्रभावित कर उसे हानि पहुंचा सकती है। यह क्रानिक लिवर रोग जैसे सिरोसिस या लीवर कैंसर का कारण भी बन सकता है। फैटी लिवर वाले लोंगों को दिल का दौरा पड़ने का खतरा भी बढ जाता है।
13- हेपाटाइटिस टाइप्स Hepatitis Types :
हेपाटाइटिस ए,बी,सी,डी,और ई अलग अलग उपभेद हैं जो लिवर संक्रमण का कारण बनते हैं।
14- लिवर की बीमारी के लक्षण :
पीलिया होना, भूख कम लगना, भूख कम लगना, वजन घटना, भोजन का ना पचना, पेट में भारीपन महसूस होना इत्यादि अनेक लक्षण हैं जिसके लिये चिकित्सीय परामर्श अवश्य लेना चाहिये।
15- हैल्दी लिवर टिप्स :
अच्छी लिवर हैल्थ के लिये संतुलित भोजन, नियमित व्यायाम और अल्कोहल की मात्रा को सीमित करना आवश्यक है।
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निष्कर्ष: -
लिवर शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने, पाचन में सहायता करने, और ऊर्जा को स्टोर करने में मदद करता है। इसे स्वस्थ रखने के लिए सही आहार, नियमित व्यायाम और जीवनशैली में सुधार की आवश्यकता होती है। ज्यादा शराब, तली-भुनी चीजें और बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयों का सेवन लिवर के लिए हानिकारक हो सकता है। पर्याप्त पानी पीना, फाइबरयुक्त आहार और ताजे फल एवं सब्जियां लिवर के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में सहायक होती हैं। नियमित चेकअप और लिवर की देखभाल से भविष्य में होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है।
Frequently Asked Question
लिवर की सेहत के लिए हरी सब्जियां, ताजे फल, ओमेगा-3 फैटी एसिड, और फाइबर युक्त आहार फायदेमंद होते हैं। अतिरिक्त वसा और तली-भुनी खाद्य वस्तुएं कम करें।
लिवर की समस्याएं अक्सर बिना लक्षणों के होती हैं, इसलिए नियमित चेकअप से शुरुआती अवस्था में समस्याओं का पता चल सकता है और समय पर इलाज शुरू किया जा सकता है।